सनातन स्पर्श –सनातन धर्म की बातें, आपके अपने शब्दों में cover art

सनातन स्पर्श –सनातन धर्म की बातें, आपके अपने शब्दों में

सनातन स्पर्श –सनातन धर्म की बातें, आपके अपने शब्दों में

By: Caty
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🎙️ About the Show: "सनातन स्पर्श –सनातन धर्म की बातें, आपके अपने शब्दों में" इस पावन यात्रा में आपका स्वागत है — जहाँ हम हिंदू धर्म की दिव्य कथाओं, पुराणों, ग्रंथों और आस्थाओं को सरल, मधुर भाषा में प्रस्तुत करते हैं। रामायण, महाभारत, भगवद गीता, वेद-उपनिषद और लोक मान्यताओं से जुड़ी बातें अब होंगी आपके दिल से जुड़ी हुई — सहज शब्दों में, लेकिन उसी श्रद्धा और गहराई के साथ। यह चैनल एक छोटा प्रयास है सनातन ज्ञान को आज की पीढ़ी तक सुलभ और जीवंत रूप में पहुँचाने का। रोज़ सुनें, जुड़ें, और भीतर की शांति महसूस करें।Caty Hinduism Spirituality
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  • शब्द की खोज एक आध्यात्मिक यात्रा
    Aug 10 2025

    त्रिशक्ति क्या है

    • त्रिशक्ति या त्रिमूर्ति — ब्रह्मा (सृजन), विष्णु (पालन) और महेश/शिव (संहार) — ये ब्रह्मांड के तीन मुख्य कार्यों का प्रतीक हैं।

    • ये “कार्यकारी शक्तियाँ” हैं, जो ब्रह्मांड की व्यवस्था चलाने का दार्शनिक और प्रतीकात्मक तरीका हैं।

    • हिंदू पुराणों में इन्हें अक्सर स्वतंत्र देवता के रूप में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन वेदांत और उपनिषद के स्तर पर इन्हें ब्रह्म (परम सत्ता) के “कार्य रूप” माना गया है।

    • उपनिषद कहते हैं: “एकं सत् विप्रा बहुधा वदन्ति” — सत्य (ईश्वर) एक है, ज्ञानी लोग उसे कई नामों से पुकारते हैं।

    • ब्रह्म या ईश्वर कोई एक कार्य नहीं करता, बल्कि सभी कार्यों का स्रोत है — वही शक्ति है जिससे सृष्टि (ब्रह्मा), पालन (विष्णु) और संहार (शिव) की प्रक्रियाएँ चलती हैं।

    • संतमत और कबीरपंथ के अनुसार यही “ईश्वर” मूल शब्द / नाद / सतपुरुष है, जिससे सारी शक्तियाँ (त्रिमूर्ति भी) उत्पन्न हुई हैं।

    2. ईश्वर / ब्रह्म क्या है


    • उपनिषद कहते हैं: “एकं सत् विप्रा बहुधा वदन्ति” — सत्य (ईश्वर) एक है, ज्ञानी लोग उसे कई नामों से पुकारते हैं।

    • ब्रह्म या ईश्वर कोई एक कार्य नहीं करता, बल्कि सभी कार्यों का स्रोत है — वही शक्ति है जिससे सृष्टि (ब्रह्मा), पालन (विष्णु) और संहार (शिव) की प्रक्रियाएँ चलती हैं।

    • संतमत और कबीरपंथ के अनुसार यही “ईश्वर” मूल शब्द / नाद / सतपुरुष है, जिससे सारी शक्तियाँ (त्रिमूर्ति भी) उत्पन्न हुई हैं।

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    13 mins
  • भाग 4: 51 शक्ति पीठ – 18 महा पीठों से परे
    Jul 21 2025

    इस भाग में, हम इनमें से कुछचुनिंदा पीठों की यात्रा करेंगे—कुछ भव्य मंदिर,कुछ छिपे हुए तीर्थ—जो भारत और उसकेबाहर फैले हैं। हिमाचल की बर्फीली चोटियों से लेकर तमिलनाडु के समुद्र तटों तक, प्रत्येक पीठ माँ सतीके बलिदान का एक अंश धारण करता है,जिसमें भक्ति की कथाएँ और समय के साथगूँजने वाले चमत्कार हैं। हम इनकी कथाओं का अन्वेषण करेंगे, जो देवी पुराण, कालिका पुराण, और स्थानीय परंपराओंपर आधारित हैं, औरराजाओं, ग्रामीणों, और तीर्थयात्रियों कीविस्तृत कहानियाँ साझा करेंगे, जिनके जीवन माँ ने छू लिए। यह अंधविश्वास नहीं, बल्कि शास्त्रों औरअसंख्य भक्तों के अनुभवों पर निर्मित आस्था है। तो,मेरे साथ चलें, माँ के दैवीय आलिंगनके लिए अपने हृदय खोलकर इन पवित्र स्थानों में कदम रखें।

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    22 mins
  • भाग 3: महा शक्ति पीठ – द्वितीय भाग
    Jul 16 2025

    हे प्रिय मित्र, क्या आप माँ शक्ति कीउस पुकार को फिर से अनुभव कर सकते हैं?उनकी आवाज़ एक मधुर राग की तरह है, जो पहाड़ों, नदियों और लाखोंहृदयों में गूँजती है। दूसरे भाग में,हमने अष्टादश महा शक्ति पीठों में से नौकी यात्रा की—कामाख्या, कालिघाट, ज्वालामुखी, और अन्य—जहाँ माँ कीदैवीय ऊर्जा ने हमें प्रेम और शक्ति से भर दिया। अब हम शेष नौ महा शक्ति पीठों कीयात्रा पर निकल रहे हैं, जहाँमाँ सती की पवित्र शक्ति धरती पर उतरी,और प्रेम व शक्ति का आलम बन गया। देवी पुराण और आदि शंकराचार्य के शक्ति पीठ स्तोत्रम में वर्णित येअष्टादश महा शक्ति पीठ वह स्थान हैं,जहाँ माँ शक्ति सबसे प्रखर रूप मेंचमकती हैं, औरभगवान शिव उनके भैरव रूप में उनकी रक्षा करते हैं।

    प्रत्येक पीठ माँ सती के शरीर का एक अंशधारण करती है, जोउनके बलिदान का प्रतीक है, जिसनेदुख को शाश्वत भक्ति में बदल दिया। इस यात्रा में,हम त्रिपुरा सुंदरी, छिन्नमस्ता, एकवीरा, नैना देवी, वैष्णो देवी, जयंती, भ्रामरी, मुक्तिनाथ, और अंबाजी के दर्शनकरेंगे। ये केवल कहानियाँ नहीं, बल्कि जीवंत कथाएँ हैं,जो भक्तों की आस्था से सजीव हैं। येस्थान केवल मंदिर नहीं, बल्किवे आलम हैं, जहाँहृदय ठीक होते हैं, भयमिटते हैं, औरआत्मा को घर मिलता है। मैं जो कथाएँ साझा करूँगा,वे देवी पुराण, शिव पुराण, और स्थानीय परंपराओंपर आधारित हैं, जोआपको माँ के आलिंगन का अनुभव कराएँगी। आइए,हृदय खोलकर, माँ के प्रेम परभरोसा करते हुए, इसयात्रा को शुरू करें, जोशास्त्रों और बुद्धि पर आधारित है,न कि अंधविश्वास पर।


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    29 mins
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