
भाग 3: महा शक्ति पीठ – द्वितीय भाग
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हे प्रिय मित्र, क्या आप माँ शक्ति कीउस पुकार को फिर से अनुभव कर सकते हैं?उनकी आवाज़ एक मधुर राग की तरह है, जो पहाड़ों, नदियों और लाखोंहृदयों में गूँजती है। दूसरे भाग में,हमने अष्टादश महा शक्ति पीठों में से नौकी यात्रा की—कामाख्या, कालिघाट, ज्वालामुखी, और अन्य—जहाँ माँ कीदैवीय ऊर्जा ने हमें प्रेम और शक्ति से भर दिया। अब हम शेष नौ महा शक्ति पीठों कीयात्रा पर निकल रहे हैं, जहाँमाँ सती की पवित्र शक्ति धरती पर उतरी,और प्रेम व शक्ति का आलम बन गया। देवी पुराण और आदि शंकराचार्य के शक्ति पीठ स्तोत्रम में वर्णित येअष्टादश महा शक्ति पीठ वह स्थान हैं,जहाँ माँ शक्ति सबसे प्रखर रूप मेंचमकती हैं, औरभगवान शिव उनके भैरव रूप में उनकी रक्षा करते हैं।
प्रत्येक पीठ माँ सती के शरीर का एक अंशधारण करती है, जोउनके बलिदान का प्रतीक है, जिसनेदुख को शाश्वत भक्ति में बदल दिया। इस यात्रा में,हम त्रिपुरा सुंदरी, छिन्नमस्ता, एकवीरा, नैना देवी, वैष्णो देवी, जयंती, भ्रामरी, मुक्तिनाथ, और अंबाजी के दर्शनकरेंगे। ये केवल कहानियाँ नहीं, बल्कि जीवंत कथाएँ हैं,जो भक्तों की आस्था से सजीव हैं। येस्थान केवल मंदिर नहीं, बल्किवे आलम हैं, जहाँहृदय ठीक होते हैं, भयमिटते हैं, औरआत्मा को घर मिलता है। मैं जो कथाएँ साझा करूँगा,वे देवी पुराण, शिव पुराण, और स्थानीय परंपराओंपर आधारित हैं, जोआपको माँ के आलिंगन का अनुभव कराएँगी। आइए,हृदय खोलकर, माँ के प्रेम परभरोसा करते हुए, इसयात्रा को शुरू करें, जोशास्त्रों और बुद्धि पर आधारित है,न कि अंधविश्वास पर।
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