आज इंसानों की प्रवृति ऐसी है कि दूसरों का दुख हमें तुच्छ लगता है..हम हमारे दुख को ही सबसे ज्यादा महत्तव देते हैं। हम सोचते हैं कि हमारा दुख सबसे बड़ा है। पर आज हम हमारी 'बैठक by STAGE" के ज़रिये एक ऐसे शख्स को दुनिया के सामने मुख़ातिब कर रहे हैं जिसका संपूर्ण जीवन ही 'संग्राम' रहा है। जिसके जीवन के महत्तवपूर्ण 8 साल, पूरे 8 साल व्हीलचेयर पर गुज़रे! पर उसने अपने हौंसले की बदौलत साबित कर दिया कि इंसान जो चाहे वो कर सकता है।
ये बात शत प्रतिशत सच है कि ज़िंदगी एक संग्राम है! इंसान बाहरी चीज़ों से लड़ सकता है पर जब संग्राम आंतरिक हो तो? जी हाँ, वो संग्राम आंतरिक था। वो व्हीलचेयर पर बैठा शख्स खुद से ना केवल लड़ा बल्कि जीता भी और दुनिया के तमाम लोगों को अपने जज़्बे से बता दिया कि "जब युद्ध खुद से हो तो जीतना लाज़मी हो जाता है"
तो पेश है दृढ़ता और हौंसले की साक्षात मिसाल 'संग्राम' से! आशा है आप इनकी जीवन यात्रा को महसूस कर इनसे कुछ सीखेंगे।
8 साल तक व्हीलचेयर पै बेजान बणकै रहण आळा बाळक देश का महान पहलवान 😱 जाणो संघर्ष तै सफलता का यो संग्राम सफर! सिर्फ बैठक by STAGE म्ह। 🙏🏻
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