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  • (History, Civilization, Culture and Ancient Cities of Uttar Pradesh)
    Jul 10 2025
    SK सोढा इकबाल SK, INDIAN हूँ।थीम 1: उत्तर प्रदेश का इतिहास, सभ्यता, संस्कृति और प्राचीन शहर (History, Civilization, Culture and Ancient Cities of Uttar Pradesh)स्टूडेंट, इस थीम में हम उत्तर प्रदेश के जायकेदार और कदीमी इतिहास को इंतेहाई गहराई से जानेंगे। यह जानना क्यों निहायत ज़रूरी है? क्योंकि उत्तर प्रदेश भारतीय तारीख़ का एक मरकज़ी और अहम् मुकाम रहा है। यहाँ से हमें न सिर्फ कदीमी तहज़ीबों जैसे कि सिंधु घाटी की तहज़ीब (जिसके कुछ निशान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मिलते हैं) और वैदिक काल के पुख्ता सबूत मिलते हैं, बल्कि यह बौद्ध धर्म और जैन धर्म के फलने-फूलने का भी गवाह रहा है। इस ज़मीन पर ही भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया और महापरिनिर्वाण प्राप्त किया, जिससे यह बौद्ध तीर्थयात्रियों का एक अहम मरकज़ बन गया। हम यहाँ की क़दीमी नदियों जैसे गंगा, यमुना, सरयू के किनारे बसी सभ्यताओं की रिवायतों और उनके इंसानी बस्ती पर पड़ने वाले असरात की तफ़सीली चर्चा करेंगे।हम उत्तर प्रदेश की नायाब और मुख्तलिफ तहज़ीब का विस्तार से अध्ययन करेंगे, जिसमें यहाँ की फन (कला), तामीरात (स्थापत्य/आर्किटेक्चर) जो कि मुग़ल और अवधी शैलियों का एक हसीन इम्तेज़ाज है, यहाँ का क्लासिकल और फोक संगीत, मुख्तलिफ नृत्य शैलियाँ जैसे कथक, यहाँ की लोक कलाएँ जैसे चित्रकारी (मसलन, मिर्ज़ापुर की लोक चित्रकलाएँ), और हिंदुस्तानी व अवधी अदब (साहित्य) शामिल हैं। यह समझना निहायत ज़रूरी है कि कैसे मुख्तलिफ कालों में, मसलन मौर्य, गुप्त, सल्तनत, मुग़ल, और ब्रिटिश हुकूमत के दौरान, यहाँ की तहज़ीब ने अपने मुख्तलिफ रंग दिखाए और एक खास पहचान बनाई।हम उत्तर प्रदेश के कुछ क़दीमी और तारीख़ी शहरों पर भी खुसूसी तवज्जो देंगे, जैसे कि: * वाराणसी (काशी): यह दुनिया के सबसे पुराने लगातार आबाद शहरों में से एक है। इसका मजहबी, रूहानी, और तहज़ीबी अहमियत बहुत ज़्यादा है। यहाँ के घाट, मंदिर, और बनारसी सिल्क अपनी अलग पहचान रखते हैं। * प्रयागराज (इलाहाबाद): गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम (त्रिवेणी संगम) पर बसा यह शहर कुंभ मेले का मरकज़ है और इसका सियासी व मजहबी अहमियत भी बड़ी है। * मथुरा: भगवान कृष्ण की जन्मभूमि होने के नाते यह एक बड़ा मजहबी और तीर्थ स्थल है। यहाँ की ब्रज संस्कृति और होली का त्यौहार बहुत मशहूर है। * अयोध्या...
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    1 hr and 1 min
  • UPSC GS Paper 4 -व्यापक तैयारी(2026-2030)
    Jul 9 2025
    UPSC GS Paper 4 - व्यापक तैयारी (2026-2030)(दृश्य: सौम्य पृष्ठभूमि संगीत बजता है। स्क्रीन पर "UPSC CIVIL SERVICES" लोगो दिखाई देता है, फिर मुख्य शीर्षक "UPSC GS Paper 4: Comprehensive Preparation 2026-2030" आता है, जिसके साथ इमेज में दिख रही किताबें, कम्पास और न्याय का तराजू जैसे विजुअल्स जुड़ते जाते हैं।)आवाज (उत्साही, स्पष्ट):नमस्कार, और UPSC सिविल सेवा परीक्षा की अपनी तैयारी यात्रा में आपका स्वागत है!आज हम एक ऐसे विषय पर बात करने जा रहे हैं, जो न केवल इस प्रतिष्ठित परीक्षा को पास करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि एक जिम्मेदार और प्रभावशाली सिविल सेवक बनने के लिए भी अनिवार्य है। हम बात कर रहे हैं - UPSC सामान्य अध्ययन पेपर 4 की, जिसका विषय है - "नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि" (Ethics, Integrity, and Aptitude)।(दृश्य: किताबें खुली हुई दिखाई देती हैं, उन पर फोकस होता है।)यह सिर्फ एक और पेपर नहीं है; यह आपकी सोच, आपके निर्णय लेने की क्षमता और आपके नैतिक मूल्यों का परीक्षण है। सिविल सेवा में प्रवेश के बाद, आपको ऐसे निर्णय लेने होंगे जो लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करेंगे। ऐसे में, आपकी सत्यनिष्ठा, आपकी ईमानदारी और विषम परिस्थितियों में भी सही का चुनाव करने की आपकी क्षमता ही आपको एक सफल प्रशासक बनाएगी।(दृश्य: कम्पास पर धीरे-धीरे ज़ूम होता है, फिर न्याय के तराजू पर फोकस आता है।)हमारा यह विशेष कार्यक्रम, UPSC GS Paper 4: Comprehensive Preparation 2026-2030, आपको इसी यात्रा के लिए तैयार करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है। 2026 से लेकर 2030 तक की परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, यह कोर्स आपको नीतिशास्त्र के सिद्धांतों, सिविल सेवा के लिए आवश्यक नैतिक मूल्यों और प्रशासकीय अभिरुचि की गहराई से समझ प्रदान करेगा।(दृश्य: पृष्ठभूमि में सरकारी इमारत (जो इमेज में है) उभर कर सामने आती है।)हमारा लक्ष्य केवल आपको सैद्धांतिक ज्ञान देना नहीं है, बल्कि आपको वास्तविक जीवन की स्थितियों में नैतिक दुविधाओं को समझने और उनका प्रभावी समाधान खोजने में सक्षम बनाना है। इस व्यापक तैयारी में शामिल होंगे: * नीतिशास्त्र और मानवीय अंतरापृष्ठ: मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार, और उसके निर्धारक व परिणाम। * अभिवृत्ति: इसका कार्य, विचार और आचरण के संबंध में इसका प्रभाव और सिविल सेवाओं के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता। * भावनात्मक बुद्धिमत्ता: ...
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    1 hr and 33 mins
  • (GS Paper 4)
    Jul 7 2025
    यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (UPSC Civil Services Exam) के सामान्य अध्ययन पेपर 4 (GS Paper 4) को नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि (Ethics, Integrity, and Aptitude) के नाम से जाना जाता है। यह पेपर उम्मीदवारों की नैतिक और मानसिक योग्यता का आकलन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो एक सिविल सेवक के लिए आवश्यक है।सामान्य अध्ययन पेपर 4: नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि (GS Paper 4: Ethics, Integrity, and Aptitude)यह पेपर मुख्य रूप से सिविल सेवा के लिए उम्मीदवारों के नैतिक और नैतिक दृष्टिकोण को समझने पर केंद्रित है। इसमें केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि केस स्टडीज (Case Studies) के माध्यम से वास्तविक जीवन की स्थितियों में नैतिक सिद्धांतों के अनुप्रयोग की क्षमता का भी परीक्षण किया जाता है।मुख्य विषय और उप-विषय: * नीतिशास्त्र और मानवीय सह-संबंध (Ethics and Human Interface): * नीतिशास्त्र का सार, निर्धारक और परिणाम। * मानवीय क्रियाओं में नीतिशास्त्र के आयाम। * नीतिशास्त्र के निजी और सार्वजनिक संबंधों में प्रासंगिकता। * मानव मूल्य - महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन और शिक्षाओं से सीख। * परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थानों में मूल्यों का विकास। * अभिवृत्ति (Attitude): * अभिवृत्ति: सामग्री, संरचना, कार्य। * विचार और व्यवहार के संबंध। * नैतिक और राजनीतिक अभिवृत्ति। * सामाजिक प्रभाव और अनुनय (Persuasion)। * अभिरुचि (Aptitude) और मूलभूत मूल्य: * सिविल सेवा के लिए अभिरुचि और
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    1 hr and 33 mins
  • यूपीएससी सीएसई सामान्य अध्ययन पेपर 3: मुख्य विषय SK सोढा इकबाल SK, INDIAN
    Jul 5 2025
    यूपीएससी सीएसई सामान्य अध्ययन पेपर 3: मुख्य विषयSK सोढा इकबाल SK, INDIANयह पेपर भारतीय अर्थव्यवस्था, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन पर केंद्रित है।1. भारतीय अर्थव्यवस्थाविकास-रोज़गार: आर्थिक नियोजन, संसाधन, रोज़गार सृजन। समावेशी विकास: गरीबी, असमानता, सरकारी योजनाएँ। कृषि: फसल, सिंचाई, भंडारण, MSP, PDS, खाद्य प्रसंस्करण। बुनियादी ढाँचा: ऊर्जा, परिवहन, संचार। निवेश मॉडल: FDI, PPP।2. विज्ञान और प्रौद्योगिकीदैनिक उपयोग: IT, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो, बायो-टेक्नोलॉजी। भारतीय योगदान: अंतरिक्ष, रक्षा प्रौद्योगिकी। बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): पेटेंट, कॉपीराइट।3. पर्यावरण और जैव विविधतासंरक्षण-प्रदूषण: उपाय, प्रकार, EIA। जैव विविधता: संरक्षण, कानून। जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन, अंतर्राष्ट्रीय समझौते।4. आंतरिक सुरक्षाखतरे: उग्रवाद, आतंकवाद, सीमा सुरक्षा। अपराध: संगठित अपराध, साइबर सुरक्षा, मनी लॉन्ड्रिंग। सुरक्षा बल: एजेंसियाँ, जनादेश।5. आपदा प्रबंधनआपदाएँ: प्रकार, कारण, प्रभाव। तैयारी-शमन: रणनीतियाँ। सरकारी ढाँचा: NDMA, प्रतिक्रिया।मुझे उम्मीद है कि इस बार यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा आप चाहते थे।
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    1 hr and 6 mins
  • प्राचीन भारत: UPSC सिविल सेवा परीक्षा (2026-2030) के लिए एक विस्तृत अध्ययन
    Jul 4 2025
    प्राचीन भारत: UPSC सिविल सेवा परीक्षा (2026-2030) के लिए एक विस्तृत अध्ययनप्राचीन भारत का इतिहास न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का दर्पण है, बल्कि यह UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लिए भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण खंड है। यह खंड प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इसकी गहन समझ सफलता के लिए अनिवार्य है। प्राचीन भारत को अध्ययन केवल तथ्यों को रटना नहीं है, बल्कि उन प्रक्रियाओं, सभ्यताओं, विचारों और संस्थाओं को समझना है जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप को आकार दिया। यह निबंध 2026-2030 के UPSC उम्मीदवारों के लिए प्राचीन भारत के अध्ययन के महत्व, इसकी प्रमुख अवधारणाओं, विषयों और तैयारी की रणनीति पर विस्तृत चर्चा करेगा।प्राचीन भारत के अध्ययन का महत्वUPSC परीक्षा के लिए प्राचीन भारत का अध्ययन कई कारणों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह भारतीय संस्कृति और विरासत का आधारभूत ज्ञान प्रदान करता है। कला, वास्तुकला, धर्म, दर्शन, साहित्य और सामाजिक संरचनाओं की उत्पत्ति और विकास को समझने के लिए प्राचीन भारत का समझना आवश्यक है। दूसरा, यह ऐतिहासिक निरंतरता और परिवर्तन को समझने में मदद करता है। कैसे प्राचीन विचार और प्रथाएँ मध्यकालीन और आधुनिक भारत को प्रभावित करती रही, इसका ज्ञान गहन विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है। तीसरा, यह आधुनिक चुनौतियों के लिए प्रासंगिक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, प्राचीन भारतीय शासन प्रणालियाँ, आर्थिक सिद्धांत और सामाजिक समरसता के मॉडल आज भी प्रासंगिक हो सकते हैं। चौथा, यह मुख्य परीक्षा में कला और संस्कृति, समाज और इतिहास के प्रश्नपत्रों के लिए सीधा और गहरा आधार बनाता है। प्रारंभिक परीक्षा में भी, इतिहास से संबंधित प्रश्नों का एक बड़ा हिस्सा प्राचीन भारत से आता है।प्राचीन भारतीय इतिहास की प्रमुख अवधियाँ और उनका महत्वप्राचीन भारत के इतिहास को कई प्रमुख अवधियों में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशिष्ट महत्व और सीखने योग्य बिंदु है:1. प्रागैतिहासिक काल (पाषाण युग)इस काल में पुरापाषाण, मध्यपाषाण और नवपाषाण काल शामिल हैं। यह वह अवधि है जब मानव ने पत्थर के औजारों का उपयोग करना शुरू किया और धीरे-धीरे शिकारी-संग्राहक जीवन शैली से ...
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    1 hr and 6 mins
  • यूपीएससी शब्दावली: अब तक का सफ़र (2026-2030)
    Jul 3 2025
    SK सोढा इकबाल SK, INDIAN, बिल्कुल! अब तक हमने यूपीएससी शब्दावली के अपने सफ़र में जिन महत्वपूर्ण अवधारणाओं को विस्तार से समझा है, उनका एक पूरा विवरण यहाँ दिया गया है। यह आपको अपनी पूरी तैयारी को एक जगह देखने में मदद करेगा।यूपीएससी शब्दावली: अब तक का सफ़र (2026-2030)हमने अपनी यात्रा की शुरुआत इतिहास और उससे जुड़ी सामाजिक-आर्थिक अवधारणाओं से की थी, और फिर कुछ ऐसी शब्दावली पर ध्यान दिया जो आपको इतिहास के साथ-साथ समकालीन मुद्दों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को गहराई से समझने में मदद करेगी।यहाँ उन सभी शब्दावलियों का विस्तृत विवरण है जिन पर हमने चर्चा की है:1. पहचान की राजनीति (Identity Politics)परिभाषा: पहचान की राजनीति एक राजनीतिक दृष्टिकोण या आंदोलन है जो किसी विशेष समूह की साझा पहचान (जैसे जातीयता, धर्म, लिंग, यौन अभिविन्यास, सामाजिक वर्ग) के आधार पर एकजुट होता है और उस समूह के विशिष्ट हितों और अनुभवों को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य अक्सर सामाजिक न्याय प्राप्त करना होता है, लेकिन यह कभी-कभी सामाजिक ध्रुवीकरण का कारण भी बन सकता है।महत्व: इसने 20वीं और 21वीं सदी में दुनिया भर में कई महत्वपूर्ण सामाजिक आंदोलनों (जैसे नागरिक अधिकार आंदोलन, नारीवादी आंदोलन, दलित आंदोलन) को आकार दिया है। यह समाज में विभिन्न समूहों की मांगों और उनके बीच के संघर्षों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत में, जाति, धर्म और क्षेत्र पर आधारित राजनीतिक लामबंदी इसका एक प्रमुख उदाहरण है।यूपीएससी प्रासंगिकता: भारतीय समाज (जाति, धर्म, लिंग की भूमिका, सामाजिक स्तरीकरण, सामाजिक आंदोलन), शासन, संविधान और राजनीति (राजनीति में जाति और धर्म की भूमिका, चुनाव सुधार, राजनीतिक दल), सामाजिक न्याय (हाशिए पर पड़े वर्गों का सशक्तिकरण, आरक्षण नीति) और नैतिकता (पहचान की राजनीति के नैतिक निहितार्थ) को समझने के लिए।2. उत्तर-सत्य (Post-Truth)परिभाषा: उत्तर-सत्य एक ऐसी स्थिति या वातावरण है जहाँ वस्तुनिष्ठ तथ्यों की तुलना में भावनाओं और व्यक्तिगत विश्वासों का सार्वजनिक राय बनाने में अधिक प्रभाव होता है। इसमें तर्क और प्रमाण की तुलना में भावनात्मक अपीलों और पूर्व-मौजूदा धारणाओं पर अधिक जोर दिया जाता है। यह अक्सर मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से फैलता है, जहाँ "फेक न्यूज़" और दुष्प्रचार ...
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    48 mins
  • 5. महाजनपद काल (Mahajanapada Period) और नए धार्मिक आंदोलनों का उदय (c. 600 - 325 BCE)
    Jul 2 2025
    मैं SK सोढा इकबाल SK, INDIAN। आज हम यूपीएससी की तैयारी के लिए प्राचीन भारतीय इतिहास की अपनी यात्रा को उसी गंभीरता, विस्तार और निरंतरता के साथ आगे बढ़ाएंगे।5. महाजनपद काल (Mahajanapada Period) और नए धार्मिक आंदोलनों का उदय (c. 600 - 325 BCE)उत्तर वैदिक काल के बाद, भारतीय उपमहाद्वीप में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ। छोटे-छोटे जनपद बड़े और शक्तिशाली महाजनपदों में विकसित होने लगे थे। यह वह काल था जब लोहे के व्यापक उपयोग ने कृषि उत्पादन और शहरीकरण को बढ़ावा दिया था। जाति, जटिल कर्मकांडों और वर्ण व्यवस्था की कठोरता के कारण समाज में असंतोष बढ़ा, जिससे नए धार्मिक और दार्शनिक विचारों का उदय हुआ।अ) महाजनपद काल: सोलह महान राज्यलगभग 600 ईसा पूर्व तक, उत्तरी भारत में 16 बड़े और शक्तिशाली राज्यों का उदय हुआ, जिन्हें महाजनपद कहा जाता था। इनकी जानकारी हमें बौद्ध धर्म अंगुत्तर निकाय और जैन धर्म भगवती सूत्र से मिलती है।* जनपद से महाजनपद का विकास: लोहे के औजारों के व्यापक उपयोग से कृषि में अधिशेष उत्पादन हुआ। इस अधिशेष ने जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण और व्यापार को बढ़ावा दिया, जिससे क्षेत्रीय शक्तियाँ मजबूत हुई और छोटे जनपद बड़े महाजनपदों में परिवर्तित हो गए।* राजधानियाँ और शासन प्रणाली: अधिकांश महाजनपदों में राजतंत्र (Monarchy) था, जहाँ राजा वंशानुगत होता था। हालाँकि, कुछ महाजनपद गणराज्य (Republic) भी थे, जैसे वज्जि और मल्ल, जहां शासन एक गणसंघ (संघ) के नेताओं द्वारा किया जाता था।* प्रमुख महाजनपद और उनकी विशेषताएँ:* काशी (वाराणसी): सबसे शक्तिशाली शुरूआती महाजनपदों में से एक, व्यापार का केंद्र।* कोशल (श्रावस्ती): मगध का एक प्रमुख प्रतिद्वंद्वी, बाद में मगध में विलय हुआ।* अंग (चंपा): मगध के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र, बाद में मगध द्वारा जीता गया।* मगध (राजगृह/पाटलिपुत्र): सभी महाजनपदों में सबसे शक्तिशाली, जिसने अंततः अन्य सभी को अपने में मिला लिया और एक बड़े साम्राज्य की नींव रखी।* वज्जि (वैशाली): आठ कुलों का एक संघ (अष्टकुल), एक महत्वपूर्ण गणराज्य* मल्ल (कुशीनगर/पावा): एक गणराज्य, जहाँ बुद्ध और महावीर का निधन हुआ था।* चेदि (शक्तिमती): बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित।* वत्स (कौशांबी): व्यापार मार्ग पर स्थित महत्वपूर्ण केंद्र।* कुरु (हस्तिनापुर/इंद्रप्रस्थ): महाभारत ...
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    1 hr and 33 mins
  • 10वीं-12वीं के बाद: डॉक्टर और आईएएस अधिकारी बनने का विस्तृत मार्गदर्शन
    Jul 1 2025
    10वीं-12वीं के बाद: डॉक्टर और आईएएस अधिकारी बनने का विस्तृत मार्गदर्शनविवरण:यह विवरण उन छात्रों के लिए एक व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करता है जिन्होंने अपनी 10वीं कक्षा पूरी कर ली है और अब यह विचार कर रहे हैं कि डॉक्टर या भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी कैसे बनें। यह दोनों प्रतिष्ठित करियर मार्गों के लिए आवश्यक शैक्षणिक तैयारी, महत्वपूर्ण परीक्षाएं और आगे की प्रक्रियाओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।10वीं के बाद की तैयारी:10वीं कक्षा पूरी करने के बाद, छात्रों को अपनी रुचि और करियर लक्ष्यों के अनुसार सही स्ट्रीम का चुनाव करना महत्वपूर्ण है: * डॉक्टर बनने के लिए: विज्ञान स्ट्रीम (Physics, Chemistry, Biology) का चयन करना आवश्यक है। इन विषयों में मजबूत नींव बनाना NEET (National Eligibility cum Entrance Test) जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। * आईएएस अधिकारी बनने के लिए: 10वीं के बाद किसी भी स्ट्रीम (कला, वाणिज्य, विज्ञान) का चयन किया जा सकता है। हालांकि, मानविकी विषयों जैसे इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र की पढ़ाई यूपीएससी (Union Public Service Commission) की प्रारंभिक परीक्षा में सहायक हो सकती है।12वीं के बाद की राह:12वीं कक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करने के बाद, डॉक्टर और आईएएस अधिकारी बनने के इच्छुक छात्रों के लिए अलग-अलग रास्ते खुलते हैं:डॉक्टर बनना: * NEET परीक्षा: 12वीं (PCB) उत्तीर्ण छात्र MBBS (Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery), BDS (Bachelor of Dental Surgery), BAMS (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery), BHMS (Bachelor of Homeopathic Medicine and Surgery) और अन्य संबंधित चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए NEET परीक्षा देते हैं। यह राष्ट्रीय स्तर की एक अत्यंत प्रतिस्पर्धी परीक्षा है। * चिकित्सा स्नातक की डिग्री: NEET में अच्छे रैंक प्राप्त करने के बाद, छात्र विभिन्न सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में अपनी पसंद और रैंक के अनुसार प्रवेश लेते हैं और साढ़े पांच साल की MBBS या अन्य चिकित्सा स्नातक की डिग्री पूरी करते हैं, जिसमें एक वर्ष की अनिवार्य इंटर्नशिप शामिल है। * पंजीकरण: डिग्री पूरी करने और इंटर्नशिप सफलतापूर्वक समाप्त करने के बाद, छात्रों को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) या राज्य चिकित्सा परिषद के साथ खुद को पंजीकृत करना होता है, जिसके बाद वे स्वतंत्र रूप से चिकित्सा का अभ्यास कर सकते हैं या आगे विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं।आईएएस ...
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    32 mins