• एपिसोड 7: जीव और जगत की प्रकृति - जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि
    Sep 5 2025

    जैसी हमारी आंतरिक भावना (वृत्ति) होती है, वैसी ही हमें बाहरी दुनिया की प्रतीति होती है । इस एपिसोड में हम जानेंगे कि जिनका चित्त शांत हो चुका है, उनके लिए भीड़ भरा नगर भी सुनसान जंगल जैसा लगता है । वहीं जिनका मन तृष्णा की ज्वाला से संतप्त है, उनके लिए सारा जगत जलता हुआ प्रतीत होता है । वास्तव में, पूरा जगत आत्मतत्व से ही परिपूर्ण है ।

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  • एपिसोड 0: ब्रह्मऋषि वशिष्ठ जी के 108 सदुपदेश
    Sep 5 2025

    इस परिचयात्मक एपिसोड में आपका स्वागत है। हम इस पॉडकास्ट श्रृंखला की रूपरेखा प्रस्तुत करेंगे। हम जानेंगे कि यह ज्ञान 'योगवासिष्ठ महारामायण' नामक महान ग्रंथ से लिया गया है, जिसके मूल उपदेशक ब्रह्मर्षि वशिष्ठ जी हैं । हम इस श्रृंखला में शामिल होने वाले प्रमुख विषयों, जैसे कर्म, मोक्ष, आत्मज्ञान और जगत के स्वरूप पर एक संक्षिप्त दृष्टि डालेंगे और बताएंगे कि कैसे ये सदुपदेश आपके जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

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