श्री कृष्ण जन्म की कहानी यह है कि श्री विष्णु, कंस के अत्याचारी शासन को समाप्त करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लेने के लिए तैयार हुए। अपने माता-पिता देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में उनका जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। वासुदेव, योगमाया की सहायता से, जेल से कृष्ण को गोकुल ले गए, जहाँ उन्होंने यशोदा और नंद के यहाँ जन्म लिया, और कंस का विनाश करने के लिए बाद में मथुरा वापस लौट आए।
पृष्ठभूमि
कंस, देवकी का भाई और मथुरा का अत्याचारी राजा था, जिसे भविष्यवाणी मिली थी कि उसकी बहन की आठवीं संतान उसे मार देगी। इसलिए, उसने देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया।
जन्म
श्री विष्णु ने देवकी और वासुदेव के आठवीं संतान के रूप में कृष्ण के रूप में जन्म लिया, जिनका उद्देश्य कंस को समाप्त करना था।
भागने का मिशन
जन्म के बाद, योगमाया (श्री विष्णु की शक्ति) ने कंस के जेल के दरवाजों को खोला और वासुदेव को मुक्त किया।
वासुदेव, योगमाया की सहायता से, अपने शिशु को एक टोकरी में लेकर यमुन नदी के पार गोकुल पहुंचे।
यमुन नदी ने अपना रास्ता दिया, और गोकुल में, वासुदेव ने कृष्ण को यशोदा और नंद के पास रखा।
गोकुल में पालन-पोषण
नंद और यशोदा ने प्यार से कृष्ण का पालन-पोषण किया।
बाद में कृष्ण बड़े होकर मथुरा लौटे, जहां उन्होंने कंस को उसके बुरे कामों के लिए दंडित किया और सभी को सही कर्म करने की सीख दी।
महत्व
कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था और यह घटना जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है।
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