
छत्तीसगढ़ी लोकगीत करमा: संस्कृति और प्रेम की झलक”।
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आज के “सुरता साहित्य की धरोहर” पॉडकास्ट में हम सुनेंगे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा से जुड़ा एक विशेष आलेख — “छत्तीसगढ़ी लोकगीत करमा: संस्कृति और प्रेम की झलक”।
यह लेख, श्रीमती तुलसी तिवारी द्वारा लिखा गया है और सुरता साहित्य पोर्टल पर प्रकाशित हुआ है।
इस एपिसोड में हम जानेंगे कि करमा गीत किस प्रकार केवल एक नृत्य या लोकगान नहीं, बल्कि आदिवासी जीवन की संवेदनाओं, प्रेम, श्रृंगार, और श्रम की लय का जीवंत प्रतीक है।
यह गीत हमें बताता है कि कैसे उरांव, गोंड और कोरवा समुदायों ने करमा पर्व के माध्यम से प्रकृति, प्रेम और लोक परंपरा का उत्सव मनाया।
सुनिए इस एपिसोड में — संस्कृति की गूंज, करमा ढोलक की थाप, और लोकगीतों की सजीव आत्मा।
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