
ईशावास्योपनिषद्: आत्मैक्य और मोक्ष मार्ग
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यह एपिशोड़ ईशावास्योपनिषद के छठे और सातवें श्लोकों पर केंद्रित है, जो एकत्व और आत्मसाक्षात्कार के सिद्धांतों को समझाते हैं। यह बताता है कि कैसे सभी प्राणियों में आत्मा को देखने और सभी आत्माओं में स्वयं को देखने से व्यक्ति घृणा और दोष से मुक्त हो जाता है। स्रोत इस विचार पर प्रकाश डालता है कि ज्ञानी व्यक्ति के लिए कोई मोह या शोक नहीं होता, क्योंकि वह सभी प्राणियों को आत्मा के एकत्व से उत्पन्न हुआ देखता है। अंततः, यह स्पष्ट करता है कि आत्मा और ब्रह्म के एकत्व का ज्ञान ही जीवन का अंतिम उद्देश्य है और मोक्ष की ओर ले जाता है, जिसकी तुलना भगवद गीता और बृहदारण्यक उपनिषद जैसे अन्य पवित्र ग्रंथों से भी की गई है।
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