Ramanand Sagar’s Ramayan Now As Podcast cover art

Ramanand Sagar’s Ramayan Now As Podcast

Ramanand Sagar’s Ramayan Now As Podcast

By: Tilak
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About this listen

Step into the timeless world of devotion and grandeur with this audio reimagining of Ramayan. Inspired by Ramanand Sagar’s cultural phenomenon, the podcast brings the epic alive through voice, music, and sound. Beginning with Baal Kaand—Rama’s divine birth, childhood, and sacred wedding—the journey moves into Ayodhya Kaand, capturing Kaikeyi’s demand, Rama’s exile, and Bharata’s devotion. Each episode offers not just a story, but an immersive spiritual experience filled with wisdom and divinity.Tilak Hinduism Spirituality
Episodes
  • SHRI RAM SITA PRATHAM MILAN
    Sep 22 2025

    राजा जनक की उत्सुकता देख विश्वामित्र राम और लक्ष्मण का परिचय देने के साथ उनकी वीरता, श्री राम के द्वारा किए गए ताड़का वध व अहिल्या के उद्धार का भी वर्णन करते है। अपनी माता के उद्धार की बात जानकर वहाँ उपस्थित ऋषि गौतम और अहिल्या के पुत्र भाव-विभोर हो जाते हैं। उधर महल में, सीता की सखियाँ के साथ स्वयंवर में आए राजाओं की चर्चा करते हुए हास-परिहास करती हैं। एक सखी से राम–लक्ष्मण की अनुपम छवि का वर्णन सुन सीता का मन पुलकित हो उठता है। अगले दिन देवी गौरी की पूजा करने मंदिर गई सीता को पुष्पवाटिका में गुरु पूजा हेतु पुष्प लेने आए श्री राम दिखते है। दोनों की आखें मिलती हैं और मानो समय ठहर जाता है - राम सियामय हो जाते हैं और सीता राममय। यह दृश्य साक्षात विष्णु–लक्ष्मी के पुनर्मिलन जैसा प्रतीत होता है। रात्रि में श्री राम चंद्रमा को निहारते हुए अपने भाव लक्ष्मण से साझा करते हैं और दूसरी तरफ सीता की बहनें उसे प्रेम में खोया देख छेड़ती हैं और सशंकित भी होती है कि क्या राम शिव धनुष उठा भी पाएंगे? अगले दिन मिथिला की राजसभा में विभिन्न प्रदेशों से पधारे हुए राजा-राजकुमारों को एक चारण शिव धनुष दिखाते हुए राजा जनक का प्रण बताता है कि इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने वाले पराक्रमी के साथ सीता का विवाह होगा। वहाँ उपस्थित राजा और राजकुमार अपना बल और पराक्रम दिखाने बारी-बारी से आते हैं लेकिन शिव धनुष को अपने स्थान से हिला तक नहीं पाते। यह देख जनक पछतावा करते हुए कहते है कि उन्होंने अपनी पुत्री के विवाह को कठिन बना दिया है और सब से प्रश्न करते हैं कि क्या धरती वीरों से खाली हो चुकी है। जब जनक के वचनों से लक्ष्मण क्रोधित हो उठ खड़े होते है तो विश्वामित्र लक्ष्मण को शांत करा कर राम को धनुष उठाने की आज्ञा देते हैं। राम को धनुष की ओर बढ़ते देख अन्य राजा व्यंग कसने लगते हैं। वही सीता मन ही मन देवी-देवताओं को मनाने लगती है।

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    30 mins
  • SHRI RAM NE KIYA TAADKA VADH
    Sep 19 2025

    महर्षि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को साथ लेकर एक दुर्गम वन में पहुँचते हैं जो महर्षि अगस्त्य के श्राप से राक्षसी बनी मायाविनी ताड़का और उसके पुत्र मारीच की विनाशलीला के कारण उजड़ गया था। अजनबियों की आहट पाकर ताड़का बाहर निकल श्री राम से युद्ध करने लगती है। विश्वामित्र का आदेश मिलने पर श्रीराम सूर्यास्त पूर्व ही ताड़का का वध कर संत समाज को उसके आतंक से मुक्त करा देते है। श्रीराम की वीरता और शौर्य देखकर ऋषि विश्वामित्र को दृढ़ विश्वास हो जाता है कि राम भविष्य में समस्त संकटों पर विजय प्राप्त करेंगे। इसलिए वह श्रीराम को दिव्यास्त्र प्रदान कर उनका ज्ञान देते हुए क्षत्रिय धर्म की महत्ता समझाते हैं। जब श्री राम और लक्ष्मण की निगरानी में विश्वामित्र अन्य साधुओं के साथ पुनः यज्ञ करना प्रारम्भ करते है, तभी रावण के भेजे गए असुर सुबाहु और मारीच यज्ञ में विघ्न डालने पहुँच जाते हैं। श्रीराम सुबाहु का वध कर देते हैं, जबकि मारीच को एक ही बाण से घायल कर इतना दूर फेंकते हैं कि वह समुद्र तट तक जा गिरता है। इस अद्भुत रक्षण से प्रसन्न होकर ऋषि विश्वामित्र श्रीराम का आभार प्रकट करते हुए उन्हें अपने साथ सीता का स्वयंवर देखने मिथिला चलने का निमंत्रण देते हैं। मार्ग में गंगा नदी पड़ने पर उन्हें वह उनके पूर्वजों के द्वारा गंगा अवतरण की कथा सुनाते है। उसके बाद में मार्ग में पड़ने वाले गौतम ऋषि के आश्रम पहुँचने पर अपने पति के श्राप के कारण शिला बनी अहिल्या को श्री राम के चरण स्पर्श द्वारा श्राप मुक्त करा उसका उद्धार करवाते है। जनकपुरी पहुँचने पर राजा जनक विश्वामित्र का भव्य स्वागत करते है। उनके साथ सुन्दर दो राजकुमारों को देख जनक मोहित हो जाता है और उनकी आँखों में एक चमक आ जाती है।

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    28 mins
  • SHRI RAM BANE VISHVAMITR KE SHISHY
    Sep 17 2025

    एक दिन जब गुरु वशिष्ठ सभी शिष्यों को पुण्य और पाप के फलों पर चर्चा कर रहे होते हैं, तब वे भरत और लक्ष्मण की जिज्ञासा पर सभी को जीवन-मरण के गूढ़ तत्वों का भी ज्ञान कराते हैं। शिव रात्रि के दिन सभी अपने आराध्य महादेव की पूजा-अर्चना करते है, गुरु माँ से संगीत की शिक्षा प्राप्त कर चुके श्री राम जब वीणा को बजाते है, तो उससे प्रसन्न होकर भगवान शिव नृत्य करने लगते है। चारों राजकुमारों की शिक्षा पूर्ण होने पर मंत्री आर्य सुमन्त राजसी वस्त्र लेकर गुरुकुल जाते है। गुरुकुल से विदा देते समय गुरु वशिष्ठ अंतिम उपदेश प्रदान करने के साथ सभी को आचार्य ऋण से मुक्त कर देते है। गुरु वशिष्ठ और मंत्री आर्य सुमन्त के साथ सभी राजकुमारों को गुरुकुल से वापस देख अयोध्या का जनसमूह उनके स्वागत में उमड़ पड़ता है। तीनों रानियाँ - कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा वर्षों बाद अपने पुत्रों से मिलकर भावविभोर हो जाती हैं। महर्षि वशिष्ठ दशरथ को आश्वस्त करते हैं कि बाल्यावस्था में गुरुकुल आए ये राजकुमार अब समस्त विद्याओं, नीति, शस्त्र और शास्त्र में पूर्णतः दक्ष हो चुके हैं। अब राजकुमारों का जीवन राजमहल में माता-पिता के सान्निध्य में प्रेमपूर्वक व्यतीत होने लगता है। वही दूसरी तरफ ताड़का नामक राक्षसी द्वारा अपने यज्ञ में विघ्न डालने पर ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से सहायता माँगने आते है और राम को अपने साथ भेजने का अनुरोध करते है। पुत्र मोह के कारण जब दशरथ सहमति नहीं देते, तो गुरु वशिष्ठ अपने अनुभव और ज्ञान के आधार उन्हें समझाते हैं कि राम केवल उनका पुत्र नहीं, एक दिव्य शक्ति हैं - जिनमें असुरों का अंत करने की सामर्थ्य है। राजा दशरथ अन्ततः सहमत हो जाते हैं और लक्ष्मण को भी राम के साथ भेजने का आदेश देते हैं। राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ तपोवन चले जाने पर दशरथ कौशल्या से एक राजा की पीड़ा को व्यक्त करते है।

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    29 mins
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In the spirit of reconciliation, Audible acknowledges the Traditional Custodians of country throughout Australia and their connections to land, sea and community. We pay our respect to their elders past and present and extend that respect to all Aboriginal and Torres Strait Islander peoples today.