• आत्म तत्व और परमात्म तत्व: आत्मा की अमरता, अद्वैत और मोक्ष का रहस्य
    Dec 16 2025

    कृष्णवाणी पॉडकास्ट की इस विशेष चर्चा में हम प्रस्तुत कर रहे हैं—

    अध्याय 8: आत्म तत्व और परमात्म तत्व,

    जो श्रीमद्भगवद्गीता के दूसरे अध्याय पर आधारित एक गहन आध्यात्मिक विवेचन है।

    इस एपिसोड में हम तीन मूलभूत प्रश्नों पर विचार करते हैं—

    आत्मा क्या है और क्यों वह अमर है?

    आत्मा और परमात्मा के बीच क्या वास्तव में कोई भेद है?

    और आत्मा का अंतिम लक्ष्य क्या है—मोक्ष कैसे प्राप्त होता है?

    भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि आत्मा अजन्मा, नित्य और अविनाशी है,

    शरीर केवल एक अस्थायी आवरण है।

    अद्वैत दर्शन के अनुसार, आत्मा और परमात्मा एक ही तत्त्व हैं—

    भेद केवल अज्ञान का है।

    इस चर्चा में गीता के महत्वपूर्ण श्लोकों—

    2.20 (आत्मा की अमरता) और

    2.47 (निष्काम कर्म)

    की व्याख्या के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि

    निष्काम कर्म, आत्मज्ञान और भक्ति

    ही मोक्ष प्राप्ति का शाश्वत मार्ग है।

    यह एपिसोड उन सभी श्रोताओं के लिए है

    जो जीवन के सत्य, आत्मबोध और आध्यात्मिक मुक्ति की खोज में हैं।

    जय श्रीकृष्ण।

    हरि ॐ तत्सत्।

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    16 mins
  • कृष्णवाणी पॉडकास्ट - आत्म दर्शन: देह और आत्मा में भेद
    Dec 9 2025

    इस ज्ञानपूर्ण एपिसोड में हम भगवद गीता के उस मूलभूत सिद्धांत को समझते हैं जिसमें श्रीकृष्ण अर्जुन को देह और आत्मा के बीच गहन अंतर बताते हैं।

    शरीर नश्वर है—जन्म लेता है, बढ़ता है और एक दिन समाप्त हो जाता है।

    लेकिन आत्मा शाश्वत है—न कभी जन्म लेती है, न कभी मरती है

    इस शिक्षा के माध्यम से हम समझेंगे—

    • आत्मा की अमरता
    • शरीर का क्षणिक स्वरूप
    • क्यों मोह, भय और आसक्ति जीवन के निर्णयों को कमजोर कर देते हैं
    • कैसे निष्काम कर्म हमें मुक्ति की ओर ले जाता है
    • और क्यों आत्मज्ञान मोक्ष का वास्तविक द्वार है

    यह एपिसोड उन सभी के लिए है जो जीवन, कर्तव्य, अध्यात्म और अपने अस्तित्व के सत्य स्वरूप को समझना चाहते हैं।

    कृष्ण की वाणी में छिपा यह ज्ञान आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना महाभारत के युद्धभूमि में था।

    आइए, स्वयं को जानने की इस आध्यात्मिक यात्रा में हमारे साथ कदम बढ़ाएँ।

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    17 mins
  • आत्म-अनुशासन और ब्रह्मनिर्वाण: सांख्य योग के रहस्य | कृष्णवाणी पॉडकास्ट
    Dec 2 2025

    इस एपिसोड में हम भगवद्गीता के सांख्य योग के अंतिम श्लोक 61–72 की गहराई में उतरते हैं, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण आत्म-संयम, मन-नियंत्रण और स्थिर बुद्धि का रहस्य बताते हैं।

    यह उन सभी साधकों के लिए आवश्यक ज्ञान है जो मानसिक शांति, आध्यात्मिक दृढ़ता और मोक्ष के मार्ग को समझना चाहते हैं।

    इस एपिसोड में आप जानेंगे—

    इंद्रियों के विषयों पर मन लगाने से उत्पन्न इच्छाओं का चक्र

    इच्छा → आसक्ति → क्रोध → मोह → बुद्धि-नाश का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

    आत्म-अनुशासन का महत्व और संयमी की विशेषताएँ

    राग-द्वेष से परे स्थितप्रज्ञ की अवस्था

    ब्राह्मी अवस्था (Brahmi Sthiti) क्या है?

    मृत्यु के समय ब्रह्मनिर्वाण की प्राप्ति कैसे संभव है?

    यह एपिसोड आत्मज्ञान, ध्यान, और मनोवैज्ञानिक संतुलन की तलाश में लगे सभी श्रोताओं के लिए एक प्रकाशस्तंभ है।

    जय श्रीकृष्ण।

    हरि ओम् शांति।

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    18 mins
  • सांख्य योग: स्थिर बुद्धि और कर्मयोग
    Nov 25 2025

    “सांख्य योग: स्थिर बुद्धि और कर्मयोग” में हम गीता के अध्याय 5 (श्लोक 41–60) का गहन अध्ययन करते हैं, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को मन और इंद्रियों के संयम का वास्तविक मार्ग बताते हैं।

    इस एपिसोड में आप जानेंगे—

    • स्थिर बुद्धि (Stithaprajna) का आध्यात्मिक अर्थ
    • मन को विचलित करने वाली इच्छाओं से कैसे मुक्त हों
    • क्यों कर्मयोग में ‘फल त्याग’ सबसे महत्वपूर्ण साधन है
    • इंद्रिय-निग्रह और समभाव का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
    • आत्म-साक्षात्कार तक ले जाने वाला कृष्ण का मार्गदर्शन

    कृष्ण का संदेश स्पष्ट है—

    “तुम्हारा अधिकार केवल कर्म पर है, फल पर नहीं।”

    इसी उपदेश से जन्म लेती है स्थिर बुद्धि—जो जीवन को शांत, संतुलित और सार्थक बनाती है।

    इस एपिसोड को सुनें और अपने भीतर उस दिव्य स्थिरता को खोजें, जिसे गीता स्थितप्रज्ञता कहती है।

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    17 mins
  • सांख्य योग में आत्मा की अमरता और निष्काम कर्म: भगवद्गीता अध्याय 2 का गहन विश्लेषण
    Nov 18 2025

    कृष्णवाणी पॉडकास्ट की इस कड़ी में हम प्रस्तुत करते हैं—

    सांख्य योग: आत्मज्ञान और कर्म का सिद्धांत,

    जो भगवद्गीता के दूसरे अध्याय के श्लोक 21–40 पर आधारित है।

    इस एपिसोड में आप जानेंगे—

    आत्मा क्यों अविनाशी, नित्य और अपरिवर्तनीय है

    “वस्त्र परिवर्तन” रूपक द्वारा देह–आत्मा का गहरा रहस्य

    निष्काम कर्म (Karma without attachment) का शाश्वत सिद्धांत

    सुख–दुःख, लाभ–हानि को समान देखने की अद्भुत शिक्षा

    अर्जुन के लिए श्रीकृष्ण का चेतावनी संदेश—

    कर्तव्य से भागना ही वास्तविक पाप है

    यह एपिसोड बताता है कि कैसे सांख्य योग केवल युद्ध की परिस्थिति नहीं,

    बल्कि हर व्यक्ति के जीवन के संघर्षों में प्रकाश देने वाला आध्यात्मिक मार्गदर्शन है।

    अपने मन को स्थिर करें, हृदय को खोलें—

    और प्रवेश करें श्रीकृष्ण की दिव्य शिक्षा में।

    जय श्रीकृष्ण।

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    18 mins
  • आत्मा की अमरता और धर्म का सच्चा ज्ञान
    Nov 11 2025

    कृष्णवाणी के इस प्रेरणादायक एपिसोड — “सांख्य योग: अमरता और कर्तव्य का ज्ञान” — में प्रस्तुत है भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय का गूढ़ संदेश।

    जब अर्जुन युद्धभूमि में मोह और करुणा से विचलित होता है, तब श्रीकृष्ण उसे आत्मा की अमरता, शरीर की नश्वरता, और कर्तव्य पालन के अनंत सिद्धांत का बोध कराते हैं।

    यह संवाद न केवल अर्जुन के संशय को मिटाता है, बल्कि हमारे जीवन के हर संघर्ष के लिए भी दिशा दिखाता है।

    श्रीकृष्ण कहते हैं — “न हन्यते हन्यमाने शरीरे” — आत्मा का वध कोई नहीं कर सकता; वह नित्य, शुद्ध और अविनाशी है।

    इस एपिसोड में सुनिए —

    आत्मा और देह का रहस्य

    कर्तव्य और धर्म का वास्तविक अर्थ

    दुःख-सुख के पार उठने का मार्ग

    यह सांख्य योग केवल दर्शन नहीं, बल्कि जीवन को जीने की एक अद्भुत दृष्टि है — जहाँ भय का अंत और ज्ञान का आरंभ होता है।

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    15 mins
  • आत्म तत्व और मोक्ष: सांख्य योग | KrishnaVani Podcast | चेतना संवाद
    Nov 4 2025

    कृष्णवाणी पॉडकास्ट के इस प्रेरणादायक एपिसोड में,

    हम गहराई से समझते हैं — आत्म तत्व और मोक्ष का रहस्य,

    जैसा कि श्रीमद्भगवद्गीता के दूसरे अध्याय सांख्य योग में

    भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया था।

    यह अध्याय हमें तीन मुख्य सिद्धांतों का बोध कराता है —

    1️⃣ आत्मा की अमरता,

    2️⃣ आत्मा और परमात्मा की एकता (अद्वैत दर्शन),

    3️⃣ और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग — निष्काम कर्म, आत्मज्ञान और भक्ति के माध्यम से।

    श्रीकृष्ण कहते हैं —

    “न जायते म्रियते वा कदाचित्... आत्मा नित्य है, शाश्वत है, अविनाशी है।”

    यह उपदेश न केवल अर्जुन के मोह और भ्रम को समाप्त करता है,

    बल्कि हमें भी यह सिखाता है कि आत्मा और परमात्मा की एकता का अनुभव

    ही सच्चे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग है।

    यह शो चेतना संवाद (YouTube Channel) के अंतर्गत प्रस्तुत किया जाता है।

    अब कृष्णवाणी पॉडकास्ट हर बुधवार को प्रसारित होता है।

    अगले बुधवार सुनिए —

    “निष्काम कर्म और आत्म-समर्पण: मोक्ष का वास्तविक मार्ग”

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    18 mins
  • सांख्य योग: आत्म दर्शन और निष्काम कर्म |
    Oct 21 2025
    ChatGPT You said: कृष्णवाणी पॉडकास्ट के एपिशोड़ के लिये मैंने google notboolm से चर्चा का आडियों प्राप्त कर लिया है जिसका सारांश इसप्रकार है- जिसका शीर्षक "अर्जुनविषादयोग: नेतृत्व और नैतिक प्रबंधन" है, अर्जुन के युद्धभूमि संकट की पड़ताल करता है, इसे आधुनिक कार्यस्थल पर नैतिक नेतृत्व के लिए एक रूपक मानता है। यह पाठ इस बात पर ज़ोर देता है कि कैसे अर्जुन की दुविधा, जो कर्तव्य और प्रियजनों के बीच एक नैतिक संघर्ष थी, आज के नेताओं के लिए प्रासंगिक है, जिन्हें लाभ और नैतिकता के बीच कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं। स्रोत बताता है कि नेताओं को केवल व्यावसायिक लाभ के बजाय दीर्घकालिक नैतिक उद्देश्यों पर ध्यान देना चाहिए और मानसिक स्थिरता बनाए रखने के लिए निष्काम कर्म के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। अंत में, यह निष्कर्ष निकालता है कि मानसिक संतुलन और नैतिक सिद्धांतों का पालन करने वाला नेता ही सफल हो सकता है, जैसा कि भगवद गीता के कर्मयोग सिद्धांत में वर्णित है। इसके आडियों तीन भाग विभजित होंगे जिसे मैं एड करके एक बनाऊँगा ।. प्रस्तावना 2. चर्चा (जो रिकाड्र हो गया है) ३. उपसंहार । . प्रस्तावना एवं उपसंहार के लिये स्क्रप्ट लिखें जिसे luvoice से text to speach से आडियों प्राप्त करुंंंगा ChatGPT said: बहुत बढ़िया आपने चर्चा का ऑडियो पहले से रिकॉर्ड कर लिया है, अब केवल प्रस्तावना और उपसंहार की स्क्रिप्ट चाहिए ताकि पूरा पॉडकास्ट “Krishnavani Podcast” के एपिसोड जैसा प्रोफेशनल और प्रभावशाली लगे। मैं आपके सारांश के आधार पर एक संतुलित, आध्यात्मिक और प्रबंधन-दृष्टिकोण से जुड़ा Intro (प्रस्तावना) और Outro (उपसंहार) लिख रहा हूँ। ️ प्रस्तावना स्क्रिप्ट (धीमी, गम्भीर और आत्मीय आवाज़ की कल्पना करें) “नमस्कार, स्वागत है आपका कृष्णवाणी पॉडकास्ट में। आज के इस विशेष एपिसोड का शीर्षक है – ‘अर्जुनविषादयोग: नेतृत्व और नैतिक प्रबंधन’। महाभारत की युद्धभूमि पर खड़े अर्जुन का संकट केवल एक योद्धा की दुविधा नहीं था, बल्कि हर युग के नेता के लिए एक गहरी सीख है। कर्तव्य और संबंधों के बीच जो नैतिक संघर्ष अर्जुन ने अनुभव किया, वही संघर्ष आज आधुनिक कार्यस्थल और नेतृत्व की दुनिया में भी सामने आता है। इस चर्चा में हम देखेंगे कि किस प्रकार गीता का यह पहला अध्याय हमें सिखाता है – कि असली नेतृत्व ...
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    19 mins