Episodes

  • Pariksha।। Kahin Ankahee ।। EP 49
    Aug 26 2024

    Written by- Munshi Premchand

    Narrated by- Barsha Jha

    दिल्ली उन दिनों भोगविलास की केंद्र बनी हुई थी। सजावट और तकल्लुफ के सामानों से रईसों के भवन भरे रहते थे। स्त्रियों को बनाव-सिंगार के सिवा कोई काम न था। पुरुषों को सुख-भोग के सिवा और कोई चिंता न थी। राजनीति का स्थान शेरो-शायरी ने ले लिया था। समस्त प्रान्तों से धन खिंच-खिंचकर दिल्ली आता था और पानी की भाँति बहाया जाता था। वेश्याओं की चाँदी थी। कहीं तीतरों के जोड़ होते थे, कहीं बटेरों और बुलबुलों की पालियाँ ठनती थीं। सारा नगर विलास-निद्रा में मग्न था। नादिरशाह शाही महल में पहुँचा तो वहाँ का सामान देखकर उसकी आँखें खुल गयीं। उसका जन्म दरिद्र-घर में हुआ था। उसका समस्त जीवन रणभूमि में ही कटा था। भोगविलास का उसे चसका न लगा था। कहाँ रणक्षेत्र के कष्ट और कहाँ यह सुख-साम्राज्य। जिधर आँख उठती थी, उधर से हटने का नाम न लेती थी।

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    9 mins
  • Nasha ।। Kahin Ankahee ।। EP 48
    Aug 19 2024

    Written by- Munshi Premchand

    Narrated by- Barsha Jha


    मैंने उसे कभी गर्म होते नहीं देखा। शायद इसका कारण यह था कि वह अपने पक्ष की कमज़ोरी समझता था। नौकरों से वह सीधे मुँह बात नहीं करता था। अमीरों में जो एक बेदर्दी और उद्दंडता होती है, इसमें उसे भी प्रचुर भाग मिला था। नौकर ने बिस्तर लगाने में ज़रा भी देर की, दूध ज़रूरत से ज़ियादा गर्म या ठंडा हुआ, साइकिल अच्छी तरह साफ़ नहीं हुई, तो वह आपे से बाहर हो जाता। सुस्ती या बदतमीजी उसे ज़रा भी बरदाश्त न थी, पर दोस्तों से और विशेषकर मुझसे उसका व्यवहार सौहार्द और नम्रता से भरा हुआ होता था। शायद उसकी जगह मैं होता, तो मुझमें भी वही कठोरताएँ पैदा हो जातीं, जो उसमें थीं, क्योंकि मेरा लोकप्रेम सिद्धांतों पर नहीं, निजी दशाओं पर टिका हुआ था, लेकिन वह मेरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहता, क्योंकि वह प्रकृति से ही विलासी और ऐश्वर्य-प्रिय था।

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    18 mins
  • Mere Kanhaiya ।। Kahin Ankahee ।। EP 47
    Aug 7 2024

    Written by- Pallavi Raghav

    Narrated by- Barsha Jha

    मैंने कितनी बार तुम्हें कहा है, पर पता नहीं क्यों यहां आकर तुम्हारी बुद्धि पर जैसे विराम-सा लग जाता है। तुम आगे कुछ सोचना ही नहीं चाहती हो। मिली, आख़िर यह फ़ैसला लेना तुम्हारे लिए इतना कठिन क्यों हो रहा है?” रवि के इस प्रश्‍न पर मैं चुप हो जाती। आख़िर मैं क्या जवाब देती। रवि ने कुछ ग़लत तो नहीं कहा मैं जानती हूं। मैं पढ़ी-लिखी आधुनिक ख़्यालों वाली युवती हूं, पर इस मामले में मेरे विचार रूढ़िवादी क्यों हो जाते हैं?

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    14 mins
  • Selfie ।। Kahin Ankahee ।। EP 46
    Aug 4 2024

    Written by - Meenu Tripathi Narrated by - Barsha Jha

    “मैं उस दिन इसलिए नाराज़ हुआ, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि सबसे अच्छी सेल्फी खिंचाने की चाह में कोई अवांछित प्रसंग घटे। दरअसल, हम सब अपने जीवन के साथ भी यही करते हैं। प्रदर्शन हेतु हम ख़ुद के जीवन की सुंदरतम तस्वीर खींचने के चक्कर में हर प्रकार का ख़तरा उठाते हैं…"


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    15 mins
  • Post-It ।। Kahin Ankahee ।। EP 45
    Jul 31 2024

    Written by- Vijaya Kathale Nibandhe Narrated by- Barsha Jha

    उस संदेश में कोई ख़ास बात तो नहीं थी, पर पता नहीं क्यों सुमन के सुखे मुरझाए होंठों पर एक मुस्कान आ गई। यह क्या एहसास था? उसे वह समझ नहीं पा रही थी, पर जो भी था उसे वह अच्छा लग रहा था। एक पोस्ट इट संदेश ने धीरे-धीरे सुमन के जीवन में रंग भरने शुरू कर दिए थे।


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    19 mins
  • Jack In All ।। Kahin Ankahee ।। EP 44
    Jul 28 2024

    Hindi Short Story Written by- Sangeeta Mathur Narrated by- Barsha Jha "सुहाना, तुम तो हीनभावना से ग्रस्त क्लब की सदस्यता छोड़ना चाहती थी? पर मुझे तो माजरा कुछ और ही नज़र आ रहा है। मुझे तो तुम सभी के आकर्षण का केंद्र बनती नज़र आ रही थी।" "हां, सिम्मी को जेक इन ऑल बनाते-बनाते मैं ख़ुद भी बहुत कुछ सीखती चली गई थी। तब कहां सोचा था वह सब मुझे एक दिन सबकी नज़रों में इतना ऊंचा उठा देगा।"


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    11 mins
  • Gannit Rishton Ka ।। Kahin Ankahee ।। EP 43
    Jul 17 2024

    Hindi Short Story Written by- Lucky Rajiv Narrated by- Barsha Jha


    मैंने डांटते हुए कहा, “बकवास मत करो,

    मैं पूछ क्या रही हूं और तुम…”

    “वही बता रही हूं मम्मी.” नीलू तड़प उठी थी।

    “आप लोगों ने मुझे क्या समझा था? मैं कोई गुड़िया हूं? कितना इंतज़ार, कितने झूठे वादे! कभी सोचा कि मैं पल-पल मर रही हूं। सिर्फ़ आप लोगों की वजह से मैंने आदित्य पर धोखाधड़ी का केस नहीं किया। उन सबकी वजह से मैंने क्या-क्या झेला, पता भी है आपको?”

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    24 mins
  • Facebook Love ।। Kahin Ankahee ।। EP 42
    Jul 14 2024

    Hindi short story Written by- Suman Bajpai Narrated by- Barsha Jha


    “तुम्हारा रूखापन, मुझे न समझना यह मुझे व्यथित कर जाता था, पर उदय के रूप में तो तुम मुझे ऐसे बिल्कुल नहीं लगे। असल में रिश्ता चाहे जो हो, प्रयास अगर दोनों तरफ से न हो तो वह कायम नहीं रह पाता है, ख़ासकर पति-पत्नी का।” रेवती की आंखें गीली हो गई थीं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ज़िंदगी उसके साथ कैसा खेल खेल रही थी। दुबारा ज़िंदगी उसे वहीं ले आई थी, जहां उसने पीछे पलटकर न देखने का फ़ैसला किया था।

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    12 mins