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KHUD SE MOHABBAT

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मोहब्बत कभी खुद से करके तो देखो वफा कभी खुद से भी तो करके देखो आशमान मे पतंग लहराके तो देखो कभी खुद को उसकी तरह आजाद करके तो देखो बिना पंंखों के उड़के 

तो देखो मोहब्बत कभी खुद से करके तो देखो, अपनी तन्हाइयों को कभी महफिल बनाकरतो देखो अपनी खामोशियों को सुरों में पुरोकर तो देखो गीत कोई खुद पर गुन गुनाकर तो 

देखो मोहब्बत कभी  खुद से करके तो देखो, वक्त कभी अपने लिए निकालकर तो देखो जाती हुइ घड़ियां गिनकर तो देखो मजाक खुदका ही उड़ाकर कभी खुद पर हंसकर तो देखो

अपने ही दर्द को कभी दवा  करके तो देखो मोहब्बत कभी खुद से कर के तो देखो, आईने के सामने खड़े होकर कभी खुद से बाते कर के तो देखो अपने ही मर्ज का इलाज कभी खुद 

करके तो देखो अपने आशूओं से कभी हंसी कीसूखी फसल लहरा के तो देखो, अपने डर से कभी लड़कर तो देखो अपनी कमजोरी को कभी हरा कर तो देखो आवाज कभी खुद के लिए

उठाकर तो देखो मोहब्बत कभी खुद से कर के  तो देखो

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