
KHUD SE MOHABBAT
Failed to add items
Add to basket failed.
Add to Wish List failed.
Remove from Wish List failed.
Follow podcast failed
Unfollow podcast failed
-
Narrated by:
-
By:
About this listen
मोहब्बत कभी खुद से करके तो देखो वफा कभी खुद से भी तो करके देखो आशमान मे पतंग लहराके तो देखो कभी खुद को उसकी तरह आजाद करके तो देखो बिना पंंखों के उड़के
तो देखो मोहब्बत कभी खुद से करके तो देखो, अपनी तन्हाइयों को कभी महफिल बनाकरतो देखो अपनी खामोशियों को सुरों में पुरोकर तो देखो गीत कोई खुद पर गुन गुनाकर तो
देखो मोहब्बत कभी खुद से करके तो देखो, वक्त कभी अपने लिए निकालकर तो देखो जाती हुइ घड़ियां गिनकर तो देखो मजाक खुदका ही उड़ाकर कभी खुद पर हंसकर तो देखो
अपने ही दर्द को कभी दवा करके तो देखो मोहब्बत कभी खुद से कर के तो देखो, आईने के सामने खड़े होकर कभी खुद से बाते कर के तो देखो अपने ही मर्ज का इलाज कभी खुद
करके तो देखो अपने आशूओं से कभी हंसी कीसूखी फसल लहरा के तो देखो, अपने डर से कभी लड़कर तो देखो अपनी कमजोरी को कभी हरा कर तो देखो आवाज कभी खुद के लिए
उठाकर तो देखो मोहब्बत कभी खुद से कर के तो देखो